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8 अक्टूबर, 2008

कचरे के ढेरों पर मनेगी जयपुर वालों की दिवाली !

कचरे के ढेरों, बन्द नालियों और सीवर लाइनों से उबाल लेकर निकले गन्दे पानी और गन्दगी के बीच दीपावली का त्यौहार मनाने के लिये अपने आपको तैयार कर लेना चाहिये, गुलाबी नगरी जयपुर के पुराने शहर की चार दिवारी में रहने वाले वाशिन्दों को ! जयपुर नगर निगम के भ्रष्ट और नालायक-नाकारा हुक्कामों की नालायकी व भ्रष्टाचार के चलते आम नागरिकों को मजबूरन मनानी पडेगी गन्दगी में दीपावली !
विश्व में गुलाबी नगरी के नाम से प्रसिद्ध राजस्थान की राजधानी जयपुर के पुराने शहर के चार दिवारी क्षेत्र में सफाई-सेनीटेशन की व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गई है। जयपुर नगर निगम के भ्रष्ट सत्ताधीशों-अफसरों की करतूतों के कारण खुद महापौर के चहेते ठेकेदार सफाई का ठेका छोड कर भाग छूटे हैं। जयपुर नगर निगम में भ्रष्टाचार की दलदल में डूबे मेयर अशोक परनामी से लेकर जमादार-सेनेटरी इन्सपेक्टर तक की फौज की जेब भराई का जुगाड नहीं बैठने के चलते नये ठेके नहीं हो पा रहे हैं। ठेकेदारों का सोच है कि कम दरों से ठेका लेने पर निगम में बैठे भ्रष्टाचारियों की जेब भराई कैसे होगी ? ज्यादा दरों पर ठेके देने से निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खुल जायेगी।
इधर नगर निगम के वार्डों में नियुक्त सेनेटरी इन्सपेक्टर सफाई कर्मचारियों की बीटों में हेराफेरी कर चांदी कूट रहे हैं। सफाईकर्मियों के जो बीट चार्ट बने हुये हैं उनको कचरे में डाल कर सेनेटरी इन्सपेक्टर अपनी मनमर्जी कर रहे हैं, नतीजन आधे कर्मचारी अपनी ड्यूटी से गैर हाजिर हैं, लेकिन उन्हें हाजिर बता कर हाजरी की जाती है और वेतन पूरा उठता है। इन गैरहाजरियों की हाजरी के वेतन की सेनेटरी इन्सपेक्टर व आला अफसरों में बन्दर बांट हो रही है। जबकि नालियां कीचड से भरी हैं, गन्दगी और कचरे के ढेर जमा है, चारों ओर गन्दगी के आलम से परेशानी उठानी पड रही है, आम नागरिकों को !
कई सफाई कर्मचारियों के पिछले 4 सालों में अपनी सफाईबीटों में कभी काम ही नहीं किया है, लेकिन हर महिने उनकी हाजरी होती है और वेतन उठाता है। हवामहल जोन पूर्व वार्ड 44 में ही कम से कम 15 प्रतिशत पुरूष सफाईकर्मी गत 4 साल से लापता हैं, लेकिन वेतन उठ रहा है, नगर निगम के भ्रष्ट अफसरों की छत्रछाया में ! कुछ सफाईकर्मियों का दावा है कि उनकी नियुक्ति मेयर या भाजपा के नेताओं के घरों पर है। ऐसी स्थिति में ड्यूटी स्थल पर काम करना मुश्किल और नामुमकीन है।
पिछले दिनों "जयपुर सम्पर्क" "जयपुर शिकायत प्रबन्धन तन्त्र" के शीर्षक से एक विज्ञापन जयपुर नगर निगम के स्थानीय समाचार पत्रों में दिया था और दावा किया था कि इस तन्त्र में दर्ज सफाई से सम्बन्धित शिकायत का निराकरण 48 घण्टों में कर दिया जायेगा। विज्ञापन में नगर निगम के मेयर अशोक परनामी और नगरीय विकास व स्वायत्त शासन राज्य मंत्री श्री सुरेन्द्र गोयल के फोटो जडे गये थे ! लेकिन ये "जयपुर शिकायत प्रबन्धन तन्त्र" भी नगर निगम में बैठे भ्रष्टाचारियों की भेंट चढ गया। हमारे पास पुख्ता सबूत हैं कि शिकायत तन्त्र में प्राप्त शिकायतों का सप्ताह गुजरने के बाद भी कोई निराकरण नहीं हुआ। एसएमएस और इमेलों के जवाब की तो बात छोडिये, उन्हें देखने वाला ही नगर निगम में खुर्दबीन से ढूंढे नहीं मिलेगा !
अब इन परिस्थितियों में आप ही बताइये कि गुलाबी नगर जयपुर शहर की चार दिवारी के वाशिन्दों को गन्दी नालियों, कचरे के ढेरों के बीच दीपावली मनाने के लिये मजबूर होने के अलावा क्या विकल्प बचा है। आप यह भी कह सकते हैं कि यही भाजपानीत श्रीमती वसुन्धरा राजे मंत्रीमण्डल का स्वाभीमान हो सकता है ? और इस ही तरह होगा जय-जय राजस्थान !
इण्डियन पोस्ट इन्फो नेटवर्क
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