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14 अक्टूबर, 2008

नेताओं की किस्मत कैद होगी 4 दिसम्बर, 2008 को राजस्थान में !

जनता को पांच साल बाद फिर एक मौका मिलेगा राजस्थान के चुनावी दंगल में उतरने वाले नेताओं की किस्मत 4 दिसम्बर, 2008 को वोटिंग मशीनों में कैद करने का ! पिछली बार सत्ता में बैठे सत्ताधीशों ने जनता से काफी लोकलुभावन वायदे किये थे। साढे चार साल बाद भाजपानीत वसुन्धरा राजे सरकार को पिछले दिनों प्रिन्ट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में धुंआधार विज्ञापन साया करवा कर बताना पडा था कि उन्होंने क्या-क्या काम किये हैं। क्योंकि जनता को धरातल पर भ्रष्टाचार की गंगा के अलावा कुछ नजर ही नहीं आ रहा है ! विज्ञापनों में से एक विज्ञापन में बताया गया था कि प्रदेश के शिक्षार्थियों को 70 लाख स्कूली बैग बटेंगे। विज्ञापन फ्लाप शो रहा। आज आचार संहिता लागू हो चुकी है, लेकिन एक भी स्कूली बैग बच्चों को नहीं दिया गया। सारी योजना ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ गई। लडकियों को साइकिलें देने की योजना थी। बताया जाता है कि साइकिलें खरीद कर जयपुर के सांगानेर स्थित एक स्कूल में जमा कर दी गई हैं, जहा पडी-पडी जंग खा रही हैं। क्योंकि ये साइकिलें चुनावी फायदा उठाने के लिये चुनाव प्रचार के दौरान वितरित की जायेंगी। इन साइकिलों का भाजपा के चुनावी प्रचार में दुरूपयोग किये जाने की गम्भीर आशंका है। सवाल उठता है कि जब साइकिलें बांटनी ही थी तो आधा सत्र बीत जाने के बाद आज तक साइकिलें क्यों नहीं बांटी गई।
विधान सभा क्षेत्रों में निर्माण-विकास के नाम पर करोडों रूपयों को पानी की तरह बहाने का क्रम चालू होने वाला है। निर्माण-विकास की गंगा में डुबकी लगाने के लिये ठेकेदार तैयार हो गये हैं। इन ठेकेदारों के बिलों की राशि के अनुपात में चुनावी चन्दा इकठ्ठा होना है। क्योंकि राजस्थान में भाजपा घोषित रूप से 10 करोड का चुनावी चंदा जनता से इकठ्ठा करने का लक्ष्य बना कर बैठी है। पतली गली से 100 करोड का चन्दा तो वसूला ही जायेगा। जनता तो फूटी कौडी चन्दा देने वाली नहीं है। ठेकेदार भरोसे की कौम है जिसका उसूल होता है जितना दे उसके अनुपात में चन्दा ले। इधर दे-उधर ले।
इण्डियन पोस्ट इन्फो नेटवर्क
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