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6 अक्टूबर, 2008

चुनावी फायदा उठाने के लिये तबादलों का पिटारा खुला शिक्षा विभाग में !

आधा शिक्षा सत्र बीत जाने के बाद सरकार ने चुनावी फायदा उठाने के लिये अब पुन: लगभग 1200 शिक्षकों का तबादला कर दिया। अब ये शिक्षक अपना बोरिया बिस्तर समेट कर नये स्थान पर ड्यूटी ज्वाइन करने की कवायद शुरू करेगें। कुछ छुट्टियां लेकर बैठ जायेंगे, कुछ तबादले रदद कराने में जुट जायेगें। याने कि पूरा अक्टूबर महिना इस तबादला उठापटक में बीत जायेगा। शिक्षार्थियों की पढाई जाये भाड में ! कोढ में खाज यह है कि दीपावली के बाद नवम्बर से शिक्षक चुनावी ड्यूटी में शिरकत करने के लिये कानूनन मजबूर हो जायेगें।

वैसे भी चुनावी फायदा उठाने के लिये

राजस्थान की भाजपानीत श्रीमतीवसुन्धरा राजे सरकार ने जिन तीन हजार स्कूलों को माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर क्रमोन्नत करने की जुगत बैठाई है उन में भी विषय अध्यापकों की नियुक्ति आज तक नहीं की गई है। ऐसे में चुनावी फायदा उठाने के लिये अपने चहेतों को ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में लाने के लिये ये जो नई तबादला सूची जारी की गई है, उससे ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षक खुर्दबीन से ढूंढे नहीं मिलेंगे ! ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में भी अध्यापकों का अकाल है और नाराज ग्रामीण आये दिन स्कूलों में ताले ठोकते रहते हैं।
पिछले साल भी बच्चों की पढाई में भारी व्यवधान हुआ था, नतीजन माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के रिजल्ट 50 प्रतिशत के आसपास अटक गये थे। इस साल उससे भी ज्यादा उठापटक चल रही है और अन्देशा है कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के रिजल्ट 40 प्रतिशत के नीचे न आजायें। शिक्षण संस्थाओं और बच्चों व शिक्षण कार्य की जो गैर जुम्मेदारान गंभीर दुर्दशा हो रही है उससे तो अच्छा है कि इस पूरे शिक्षण सत्र को ही "शैक्षणिक अवकाश" घोषित कर दिया जाये और शिक्षणार्थियों को अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाये ताकि कम से कम इन निरीह बच्चों का एक साल खराब न हो। उनका भविष्य न बिगडे।
इण्डियन पोस्ट इन्फो नेटवर्क
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