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24 सितम्बर, 2008
गरीबों को हटाने का सौदा कितने करोड का ? असलियत बताये सरकार !
जयपुर- जयपुर के सिविल लाइन्स क्षेत्र में मुख्यमंत्री आवास के पास स्थित बाईजीलाल की कोठी नम्बर 7 में साठ सालों से अधिक समय से रह रहे 6 गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवारों के 45 लोगों, जिनमें बुजुर्ग, महिलाऐं और बच्चे भी शामिल हैं, को रात के अंधेरे में सामन्तवादी सत्ताधीशों के इशारे पर बेदखल कर आगरा रोड के
बक्सावाला में लेजाकर पटक दिया गया। जिस जमीन पर से इन्हें हटाया गया है, वह सरकारी जमीन नहीं है और न ही इस जमीन पर इन परिवारों ने अतिक्रमण कर रखा है। कोढ में खाज यह है कि जेडीए भी उन्हें बक्सावाला से अतिक्रमणी मान कर हटाने की जुगत बैठा रहा है।
राजस्थान स्टेट फारवर्ड ब्लाक के जनरल सेक्रेटरी हीराचंद जैन ने जयपुर नगर निगम, जयपुर जिला प्रशासन और राज्य सरकार से सवाल किया है कि इन गरीबों से उनका आशियाना छीनने के लिये किसने आदेश दिया ? क्या किसी न्यायालय के आदेश से इन्हें हटाया गया है ? या फिर इस निजी स्वामित्व की जमीन पर से कब्जा हटाने के लिये भारतीय जनता पार्टी को कोई मोटा चुनावी चन्दा मिलने के आश्वासन के चलते ये बेदखली हुई है, खुलासा करे सरकार !


फारवर्ड ब्लाक का सवाल है कि इन गरीबों को बेदखल करने के लिये जब किसी अदालत का आदेश नहीं है, मकान मालिक, नगर निगम, जेडीए ने मकान खाली करने के लिये कोई नोटिस जारी नहीं किये, वहीं प्रमुख गृह सचिव श्री एस. एन. थानवी, पुलिस महानिदेशक श्री के. एस. बैन्स ने सारे मामले में अनभिज्ञता जाहिर की है, तो इस निजी स्वामित्व की जमीन पर से इन गरीबों को बेदखल करने के लिये एडीएम श्री जे. आर. भादू, एसडीएम श्री विभु कौशिक, जयपुर नगर निमग की सिविल लाइन जोन आयुक्त पूनम प्रसाद सागर, एडीशनल एसपी श्री सम्पतराज व्यास कैसे मौके पर पहुंच गये और किस के आदेश से ? सवाल यह भी है कि छ: गरीब परिवारों के 45 सीधे-साधे इन्सानों जिन में 15 छात्रा-छात्राऐं और 6 से अधिक महिलाऐं हैं, को उनके घरों से बेदखल करने के लिये तीन सौ से अधिक पुलिसकर्मियों, अधिकारियों के साथ एसटीएफ की चार गाडियां, तीन जेसीबी, दो क्रेन और मजदूरों का लवाजमा कैसे कोठी नम्बर 7 पहुंच गया ? किसने और क्यों निजी स्वामित्व की जमीन पर से बेदखल करने के आदेश दिये ! इनका क्या कसूर है ? क्या ये आतंकवादी हैं ? खुलासा करे मुख्यसचिव एवं मुख्यमंत्री खुद !

राजस्थान स्टेट फारवर्ड ब्लाक के जनरल सेक्रेटरी हीराचंद जैन ने बताया कि इस मामले में जयपुर नगर निगम के दो अफसरों की जयपुर नगर निगम कर्मचारियों के साथ उपस्थिति से जयपुर नगर निगम के महापौर श्री अशोक परनामी की लिप्तता भी उजागर जो जाती है। उन्होंने आगे बताया कि श्री अशोक परनामी और जयपुर नगर निगम के तत्कालीन मुख्यकार्यकारी अधिकारी श्री मनोहर कान्त को फारवर्ड ब्लाक ने 150 करोड रूपये से अधिक मूल्य की 12 हजार वर्ग गज से अधिक जमीन पर गैर कानूनी अतिक्रमण और अवैध निर्माण की शिकायत स्पष्ट दस्तावेजी सबूतों के साथ दर्ज करवाई थी। जयपुर नगर निगम के विधाधर नगर जोन के आधीन शास्त्रीनगर क्षेत्र में स्थित इस जमीन पर गैर कानूनी निर्माण को जयपुर नगर निगम ने भी स्पष्ट रूप से लिखित में स्वीकार किया, लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय के दबाव

के चलते मामले को ढण्डे बस्ते में डाल दिया गया है ! क्योंकि जिन असरदार लोगों से सम्बन्धित यह मामला है, उनसे भारतीय जनता पार्टी को करोडों का चन्दा और वोटों की खेती मिलने वाली है। यही नहीं इस मामले को दबाने के लिये विधाधर नगर जोन में चार जोनल कमिश्नरों को बदला गया है और मामले को अलमारियों में कैद कर दिया गया है। जबकि इन बेकसूर गरीबों को बेदखल कर दिया गया है।
उन्होंने मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे से इन प्रकरणों के मददेनजर नैतिकता के आधार पर तत्काल इस्तीफा देने की मांग की है और दोनों प्रकरणों की केन्द्रीय जांच व्यूरो अथवा राजस्थान उच्च न्यायालय के सिटिंग न्यायाधिपति से जांच करवाने की मांग की है।

जयपुर नगर निगम के विधाधर नगर जोन के शास्त्रीनगर

की वह जमीन जिस पर गैर कानूनी निर्माण किया गया है।

प्रेस विज्ञप्ति राजस्थान स्टेट फारवर्ड ब्लाक
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