राजस्थान में सत्तर सीटों पर सिमटेगी भाजपा !
विज्ञापन देने वालों का सोच है, सरकारी खर्चे पर जितने विज्ञापन दिये जा सकते हैं, देकर विज्ञापन पाने वालों से अपने पक्ष में चुनावी माहौल बनाने के लिये जितनी मदद ली जा सकती है ले लो ! चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद में ये मौका फिर नहीं मिलेगा ! इसका फायदा भाजपा को कितना मिलेगा रामजाने ! हां, एक बात जरूर है कि इस बार भाजपा के सत्तर पर मिटने की बारी है।
उधर पूर्व आईएएस अधिकारी रणजीत सिंह गठाला खम ठोक कर मैदान में उतर गये हैं और शंखनाद किया है, भाजपा को हटाओ, मुझे जिताओ ! ये वो ही गठाला साहब हैं, जिन्होंने बागवानी घोटाला काण्ड उजागर कर कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी को भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में जकड रखा है और बागवानी घोटाला कांड की जांच को भाजपा के वरिष्ठ नेता हरिशंकर भाभडा ने सैनी जी की खाल बचाने के लिये अपनी स्टील की आलमारी में कैद कर रखा है। अब गठाला साहब चुनाव तो लडेगें ही, साथ-साथ भाजपा की किरकिरी भी करेगें।
वहीं राजस्थान के पूर्व सूचना और जनसम्पर्क निदेशक अमर सिंह राठौड ने राजस्थान में भाजपानीत श्रीमती वसुन्धरा राजे सरकार की विदाई के लिये रणभेरी बजा दी ! राठौड साहब चुनाव तो नहीं लडेगें, लेकिन भाजपा के चुनावी लडाकुओं की पूरी तरह टांग खिंचाई जरूर करेगें। इस में उनका सूचना एवं जनसम्पर्क निदेशालय में अर्जित अनुभव काम आयेगा। अमर सिंह राठौड को राज्य के बुद्धिजीवियों में कौन नहीं जानता ? उनके साथ निदेशक के पद पर कार्यरत रहते हुये एक मामूली सी बात पर आरएसएसपंथी भाजपाईयों के इशारे पर श्रीमती वसुन्धरा राजे प्रशासन ने जो दुर्व्यवहार किया वह अब बुद्धिजीवियों के दिलों की टीस बन चुका है। राठौड साहब की चुनौती को हल्के-फुल्के में लेने वालों के पास निश्चित रूप से पछताने के अलावा कुछ भी नहीं बचेगा। हमने 20 अगस्त, 2008 को "घोटाला सरकार के अफसरों सावधान" शीर्षक से लिखे पोस्ट में राजस्थान की भाजपानीत श्रीमती वसुन्धरा राजे सरकार के बीस से अधिक घोटालों का जिक्र किया था और साफ साफ लिखा था कि इस सरकार पतन निश्चित है। अब चूंकि गठाला, राठौड सहित इस सरकार से पीडित महिलाओं, कर्मचारियों और शोषित पीडित वर्ग ने कमर कस ली है, भाजपानीत सरकार को पठकनी देने के लिये ! ऐसी सूरत में राजस्थान विधान सभा चुनावों में अब भाजपा का सत्तर सीटों के अन्दर-अन्दर सिमटना लगभग तैय है।
इण्डियन पोस्ट इन्फो नेटवर्क