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20 सितम्बर, 2008

तिनके-तिनके जुटा कर गृहस्थी चलाते हैं हम !

कर्मचारी नेताओं के पांव तले की जमीन धीरे-धीरे खिसक रही है। छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मद्देनजर केन्द्र सरकार द्वारा केन्द्रीय कर्मचारियों को दिये गये वेतनमानों को राजस्थान में लागू करने में राज्य सरकार द्वारा दिखाई गई कारीगरी से आम कर्मचारियों में आक्रोश गहराता जा रहा है। राज्य कर्मचारियों के साथ-साथ स्थानीय निकाय कर्मचारियों, बोर्ड, कार्पोरेशन, अनुदानित संस्थाओं के कर्मचारियों को अब धीरे-धीरे समझ में आने लगा है कि सरकार ने उन्हें मुगालते में डाल कर धीरे से 10 हजार करोड का झटका दे दिया है। सभी कर्मचारी अच्छे खासे नाराज हैं और कर्मचारी नेताओं से मुंह छिपाये नहीं छिप रहा है।
इधर आम कर्मचारियों के परिजनों में भी नाराजगी गहराती जा रही है। कर्मचारियों के परिजनों का साफ-साफ कहना है कि तिनका-तिनका जुटा कर हम गृहस्थी चलाते हैं। हमें पता है एक-एक पैसे की कीमत ! अगर राज्य सरकार के हिमायती खुदगर्ज कर्मचारी नेताओं ने भाजपानीत श्रीमती वसुन्धरा राजे सरकार को चुनावी फायदा पहुंचाने के लिये कर्मचारियों के साथ बेवफाई कर उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो सरकार और नेताओं दोनों को गहरा खमियाजा भुगतना होगा ! अब आया ऊंट पहाड के नीचे। सरकार के हिमायती नेताओं को भी समझ में आने लगा है कि एक तरफ कुंआ है तो दूसरी तरफ खाई ! अब इनका क्या होगा राम जाने ?
इण्डियन पोस्ट इन्फो नेटवर्क
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