मेरी बिल्ली मुझ से ही म्यांऊ !
अगर कोई मुख्यमंत्री अपनी पार्टी को चुनावी फायदा पहुंचाने के लिये शिलान्यास, उद्द्याटन भाषणों का सहारा ले और सरकारी खर्चे पर समारोह तथा सभा का आयोजन करे तो क्या कहा जायेगा ? सत्ता का दुरूपयोग और जनता के धन की फिजूलखर्ची ! लेकिन इस दुरूपयोग व फिजूलखर्ची से जनता को ही नुकसान हो और मंत्रीका बेजा रूतबा सहना पडे तो जनता उस मंत्री को क्या कहेगी ? यही कि मेरी ही बिल्ली मुझ से म्यांऊ ! जी हां, सरकारी खर्चे पर राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे के भाषण के लिये राज्य के जालोर जिले के हरियाली गांव में आमसभा का आयोजन किया गया ! मौका था, वहां मुख्यमंत्री द्वारा आवासीय स्कूल के उद्द्याटन का ! उद्द्याटन तो बरसात के कारण धरा का धरा रह गया और मुख्यमंत्री भी नहीं पहुंची ! लेकिन आमसभा का शामियाना जरूर धराशाही हो गया और भाषण सुनने आई जनता शामियाना के नीचे दब गई। नेतागण तो भाग छूटे और जनता टैंट फाड कर बाहर निकली। भगदड में 60 से ज्यादा लोग घायल हो गये कुछ को ज्यादा चोटें आई। जब घायलों को स्कूल में बनाये गये अस्थायी चिकित्सा कक्ष में लेजाया गया तो वहां मौजूद राज्य के खनिज मंत्री लक्ष्मीनाराण दवे विफर गये और बोले कि घायलों को यहां क्यूं लाये ? कहीं ओर ले जाओ ! अब बारी थी, जनता की ! खूब सुनाई खरीखोटी और मैदान छोडना पडा हुजूर मंत्री जी को ! अब अगर जनता मंत्री जी को यह कहे कि मेरी ही बिल्ली मुझ से म्यांऊ तो इसमें किसका दोष ? वैसे सोजत बाढ प्रकरण में भी गैर जुम्मेदाराना हरकत के कारण इन मंत्री जी की पहिले भी गहरी फजियत हुई थी ! इनका तो आगे राम मालिक !