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17 सितम्बर, 2008

नेताओं तैय करो फटका सहोगे या दोगे झटका !

अब राज्य कर्मचारियों के सामने दो ही रास्ते बचे हैं। या तो अगले वेतन आयोग याने कि सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट आने तक 10 हजार करोड रूपये का फटका सहलो या फिर सरकार को झटका दे दो। तैय कर्मचारियों और उनके नेताओं को करना है कि "फटका सहेगें या झटका देगें"।जी हां, राजस्थान की भाजपानीत श्रीमती वसुन्धरा राजे सरकार ने छठे वेतन आयोग की शिफारिशों के क्रम में केन्द्र सरकार द्वारा कर्मचारियों को दिये गये वेतनमानों को लागू करने में कारीगरी दिखा कर राजस्थान के 8 लाख से अधिक राज्य कर्मचारियों, स्थानीय निकाय कर्मचारियों, बोर्ड कार्पोरेशन के कर्मचारियों व अनुदानित संस्थाओं के कर्मचारियों को 10 हजार करोड रूपये का तेज झटका धीरे से लगा दिया और कर्मचारी मुगालते में बैठे रहे और सरकारी करतूत को वक्त पर नहीं समझ पाये ! अब धीरे-धीरे परतें खुल रही हैं। राजस्थान सरकार के हिमायती कर्मचारी नेताओं के मुंह पर हवाइयां उड रही हैं, वहीं कर्मचारी आक्रोशित है !
आम कर्मचारियों में गहराते जा रहे आक्रोश को शान्त करने के लिये और मुददों को ठंडे बस्ते में डालने के लिये राज्य सरकार ने एक कमेटी गठित कर उससे एक माह में रिपोर्ट मांगी है। तब तक आचार संहिता लागू हो जायेगी और सरकार आचार संहिता लागू होने का रोना रोकर पल्ला झाड लेगी। नतीजन ठाक के वही तीन पात ! जो सरकार ने कर दिया वह सही बाकी राम-राम ! अब कर्मचारियों में पिछले चुनावों के वक्त की तरह फूट तो पडेगी ही ! लेकिन इस बार बात नई होगी ! राज्य सरकार पिछलग्गू कर्मचारी नेता एक तरफ और राज्य कर्मचारी उनके विरोध में दूसरी तरफ। अब देखना है कि ऊंट किस करवट बैठेता है ?
इण्डियन पोस्ट इन्फो नेटवर्क
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