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20/8/2008

घोटाला सरकार के अफसरों- सावधान !

जब किसी राज में घोटालों की खतरनाक बाढ आजाये तो घोटालों के लिये दोषी किसे समझा जाये ? सत्ताधीस राजनेताओं को या नौकरशाहों को ! घोटाले सत्ताधीश राजनेताओं और नौकरशाहों की मिलीभगत से ही होते हैं। चाहे किसी भी कारण से, नौकरशाह राजनेता के दबाव में हों या फिर राजनेता नौकरशाह के दबाव में ? घोटाले दोनों ही मिल कर करते हैं यह एक कटु सत्य है। फायदा एक को मिले या दूसरे को या दोनों को ! यह बहस का मुददा है।

राजस्थान में आज घोटालों की सत्ता है। सत्ताधीशों ने घोटालों का वो पुराण रचा है जिस की राजस्थान के इतिहास में दूसरी कोई मिसाल नहीं है। घोटालों की फेहरिस्त में नालेज कारीडोर, आई.टी. कारीडोर, डायमण्ड जैम पार्क, स्पोर्टस सिटी, अप्पूघर, मेद्या टयूरिज्म, आई.सी.आई.सी. बैक जमीन आवंटन, डीएलएफ जमीन आवंटन, वर्ड ट्रेडसेन्टर, बार्डर जमीन घोटाला,फनकिंगडम रूपान्तरण, लिबर्टी प्रोजोन जमीन आवंटन के मामलों के साथ-साथ स्मार्ट कार्ड घोटाला, कोयला घोटाला, बागवानी घोटाला, रोजगार गारण्टी योजना क्रियान्वयन में गम्भीर अनियमितताऐं, गैर सरकारी स्कूलों को अनुदान देने में घोटाला-गम्भीर अनियमितताऐं, आईजीएम सडक घोटाला के साथ-साथ दो अन्य कार्पोरेट पार्क, हवाई पट्टी आवंटन के सम्भावित घोटाले भी शामिल हैं। इसके साथ-साथ रिसर्जेंट राजस्थान की नौटंकी भी तो शामिल है।

बागवानी घोटाले में तो मंत्री-अफसर आमने-सामने हैं और जांच भाजपा के भूतपूर्व उपमुख्यमंत्री हरिशंकर भाभडा की स्टील की अलमारी में कैद है। मंत्रीमंडल के सदस्यों प्रतापसिंह सिंघवी, कालीचरण सर्राफ, प्रभुलाल सैनी, हाउसिंग बोर्ड अध्यक्ष अजयपाल सिंह और जयपुर नगर निगम मेयर अशोक परनामी के नाम मीडिया की सुर्खियों में रहे हैं। सत्ता परिवर्तन होने पर राजस्थान में सडक घोटाले के नाम से एक नया घोटाला भी उजागर होने के लिये बेताब है।

एक बात तो साफ है कि राजस्थान में भाजपानीत श्रीमती वसुन्धरा राजे सरकार का पतन निश्चित है। बशर्ते कांग्रेसी आपस में जूतमपैजार न करें और एक जुट रहें। दूसरे बहुजन समाज पार्टी भाजपा से लेनदेन कर कांग्रेस को डुबोने की हरकतों में कामयाब न हो सके।अब नौकरशाहों को समझ लेना चाहिये कि इस घोटाला सरकार का जाना तो निश्चित है और आनेवाले सत्ताधीश इन घोटालों-अनियमितताओं की जांच भी करवायेगे। राजनेता तो पतली गली निकाल लेंगे, लेकिन नौकरशाहों का क्या होगा ? खुद सोचे नौकरशाह और अपने दामन को बचाने की जुगत बैठायें। इसी में ही उनका भला है।

इण्डियन पोस्ट इन्फो नेटवर्क

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