जहां महिला ही महिला विरोधी हो तो उस राज का क्या कहना ?
जब महिला सत्ताधीश और उनके सहयोगी ही महिलाओं के विरोधी हों तो महिलाओं की भलाई के सारे दावे बेमानी हो जाते हैं। कुछ चुनिन्दा महिलाओं को स्मार्ट कार्ड देने, बैंक खातों में 1500-1500 रूपये जमा कराने, पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के 35 प्रतिशत आरक्षण को 50 प्रतिशत करने की राजस्थान सरकार की विज्ञापनीय घोषणा के साथ-साथ, राज्य भारतीय जनता पार्टी ने भी एक महिला को विधान सभा टिकिट देने की खबर फैलाई है। वो लागू होती है या साबित होती है, हवा-हवाई ! यह तो आनेवाला वक्त ही आइने की तरह साफ कर देगा हकीकत को। लेकिन यह तो है सिक्के का केवल एक पहलू !
अब जरा सिक्के के दूसरे पहलू पर भी गौर फरमायें ! राजसमन्द जिले की आमेट नगर पालिका में भाजपा का बोर्ड है। नगर पालिका अध्यक्ष भी भाजपा की ही महिला है। (हम यहां महिला अध्यक्ष का नाम नहीं लिखेगें) राज्य के एक मंत्री सुरेन्द्र सिंह राठौड के इशारे पर नगर पालिका की इस महिला अध्यक्ष के सारे वित्तिय अधिकारों पर पाबन्दी लगा दी गई है। बोर्ड के उपाध्यक्ष एवं अन्य पदाधिकारी बिना अध्यक्ष की अनुमति से, अधिशाषी अधिकारी व अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से धडाधड टेण्डर-कोटेशन निकाल रहे हैं। मोटे-मोटे भुगतान हो रहे हैं और धडल्ले से चल रही है कमीशन खोरी ! चूंकि राज्यमंत्री मण्डल के एक सदस्य सुरेन्द्र सिंह राठौड का वरदहस्त होने व भाजपा का लेबिल-ठप्पा लगा होने से इनका बाल भी बांका नहीं कर सकता है कोई माई का लाल ! इस लिये लगे हैं मलाई खाने-खिलाने में !

कानूनन बोर्ड में महिला ही अध्यक्ष हो सकती है, अत: बैठा दिया महिला को चेयरमैन की कुर्सी पर और छीन लिये उसके सारे वैद्यानिक अधिकार। मुख्यमंत्री से लेकर डायरेक्टर लोकलबाडीज तक चुप बैठकर तमाशा देख रहे हैं। यह है राजस्थान की सामन्तवादी सरकार की करतूत ! देखिये राजस्थान सरकार में जुटे सामन्तवादियों की फौज को ! देवीसिंह भाटी, राजेन्द्र सिंह राठौड, नरपतसिंह राजवी,भवानी सिंह राजावत, सुरेन्द्र सिंह राठौड और मुख्यमंत्री के सलाहकार विश्वेन्द्र सिंह। खुद श्रीमती वसुन्धरा राजे धौलपुर राजधराने की सदस्य हैं। सरकार में बैठे और सरकार को सहयोग कर रहे सामन्तवादी क्या इस ही तरह महिलाओं का उत्थान करेगें कि महिला को आरक्षण देकर कुर्सी पर बिठाओ और उनसे उनके संवैधानिक अधिकार छीन कर उन अधिकारों का जम कर दुरूपयोग करो।
अब बतायें मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे कि, क्या वे खुश हैं ? उनके सहयोगियों की इस हरकत से। क्या इस ही तरह महिलाओं का कल्याण करेगी उनकी सरकार और भाजपा ? उनकी नजर में यह सही है तो "जय जय राजस्थान" के विज्ञापनीय नारे को बदल कर "जय जय सामन्तवाद- जय जय भ्रष्टाचार" कर देना चाहिये अन्यथा सुधारें अपने अधीनस्त निकम्मे-नाकारा लोगों की गलतियों को ! दण्डित करें महिलाओं का अपमान करने वालों को !
हीराचंद जैन