सर्वाधिकार सुरक्षित रहते हुऐ, INDIAN POST INFO. NETWORK एवं ब्लाग के लिंक सहित ही सामग्री का अन्यत्र इस्तेमाल किया जा सकता है।
14/8/2008
इण्डिया दैट इज भारत

आज इण्डियन पोस्ट इन्फो नेटवर्क का पहला जन्मदिन है। आज ही के दिन 14 अगस्त, 1947 को रात्रि 12 बजे अखण्ड भारत के सीने में नश्तर लगा कर अंग्रेजों ने उसके दो हिस्से कर ट्रान्सफर आफ पावर एग्रीमेंट के जरिये अपने पिछलग्गुओं को सत्ता सौंपी थी। मोहम्मद अली जिन्ना ने अखण्ड भारत के एक हिस्से को पाकिस्तान के रूप में सम्भाला वहीं दूसरे हिस्से इण्डिया दैट इज भारत की कमान मोहनदास करमचंद गांधी की रहनुमाई में पं. जवाहर लाल नेहरू ने सम्भाली।
पाकिस्तान अपनी आजादी का जश्न 14 अगस्त को मनाता है जबकि इण्डिया दैट इज भारत 15 अगस्त को ! असलियत यह है कि दोनों ही देशों की जनता आज भी उस ही तरह गुलाम है जैसे 14 अगस्त, 1947 से पहिले थी ! झूंटी है यह आजादी की बांग ! बेतुके हैं आजादी के नाम पर मनाये जानेवाले ये सरकारी जश्न ! अगर हिम्मत है तो जगजाहिर करो ट्रान्सफर आफ पावर के दस्तावेजों को ! उन ट्रान्सफर आफ पावर के दस्तावेजों को जिन पर 14-15 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि में अंग्रेजों, पाकिस्तान और इण्डिया दैट इज भारत के स्वंयभूं प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किये थे और सत्ता गोरे हुक्कामों ने आपने पिछलग्गू काले हुक्कामों को सौंपी थी। सभी ने आपस में वादा किया था कि वर्ष 2000 तक इन ट्रान्सफर आफ पावर के दस्तावेजों को गुप्त रखा जायेगा। ऐसा क्यों किया गया ? ये तो दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने वाले पक्ष ही जाने, लेकिन वर्ष 2000 बीते 8 साल हो गये हैं। लेकिन सत्ता हस्तान्तरण के दस्तावेजों को आम अवाम के सामने उजागर नहीं किया जा रहा है क्यों ? उजागर करो इन दस्तावेजों को, अवाम के सामने ! भारत के आम अवाम का हक है यह जानने का कि 61 साल पहिले भारतीय नेताओं ने तत्कालीन ब्रिटिश हुकुमत से सत्ता हस्तान्तरण का क्या करार दिया था ? दस्तावेज जगजाहिर होने पर असलियत सामने आ जायेगी कि 1947 में देश को आजादी मिली थी या केवल कुछ शर्तों पर महज "ट्रान्सफर आफ पावर" ! जबतक ट्रान्सफर आफ पावर के दस्तावेज जगजाहिर नहीं होते हैं तब तक समझो कि "ये आजादी झूंटी है !"


आज देश की 95 प्रतिशत आबादी जिसमें से 50 करोड से अधिक गरीब, देश के 5 प्रतिशत पूंजीपतियों, सरमायेदारों की गुलामी के लिये मजबूर है। आधी आबादी पिछले 60 सालों से रोटी की जंग लडते-लडते थक चुकी है। बंधुआ मजदूरों, बाल बंधुआ मजदूरों की नफरी इस कदर बढ रही है जैसे द्रोपदी का चीर ! पार कर गई है 70 लाख से ज्यादा की नफरी ! मंहगाई, बेरोजगारी, गरीबी, अशिक्षा और बंधुआ मजदूरी ने आम अवाम को झकझोर कर रख दिया है। देश की बदहाली और गरीबों-बाल मजदूरों की मदद के नाम पर विदेशी संस्थाओं से चंदा बटौर कर अपने संस्था रूपी मठों को संजोने वाले मठाधीशों ने तो इस समस्या में "कोढ में खाज" का काम किया है। अब उजागर करेगें साफ-साफ शब्दों में इसे भी कामरेड हीराचंद जैन, इण्डियन पोस्ट इन्फो नेटवर्क पर !

Bookmark and Share