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नक्सलवादी हमले और नेताओं की तूतू-मैंमैं !

नक्सलवादियों-माओवादियों ने पिछले कुछ दिनों में झारखण्ड, बिहार, छत्तीसगढ, उडीसा सहित मानवीय समस्याग्रस्त अन्य राज्यों में पुलिस एवं अर्धसैनिक बलों पर लगभग एक दर्जन बार निशाना साधा है। पश्चिम बंगाल के नक्सलवाडी इलाके से गरीब किसानों और खेतीहर मजदूरों ने पचास के दशक में अत्याचारी सामन्ती तत्वों और उन्हें मदद करने वाले सत्ताधीशों एवं सरकारी मशीनरी के खिलाफ जब हथियार उठाये थे, तब से ही इन्हें आतंकवादी, विद्रोही, असामाजिक और न जाने किन-किन अवांछित शब्दों का प्रयोग कर अपमानित किया जा रहा है। गरीब, शोषित पीडित, पिछडे वर्गों, आदिवासियों पर सामन्तवादियों और उनके सहयोगी सत्ताधीशों और सरकारी अमलों द्वारा ढाये जा रहे अत्याचारों का जब निराकरण नहीं किया गया तो गरीबों ने अपनी रक्षा के लिये हथियार उठाये और अत्याचारियों का बहादुरी से मुकाबला कियाऔर आज भी कर रहे हैं। नक्सलवादियों-माओवादियों का यह संघर्ष, साम्प्रदायिक उन्मादियों, भ्रष्टाचारियों, अनाचारियों और गरीब दलित आदिवासियों एवं महिलाओं पर अत्याचार करने वालों और इन्हें मदद करने वाली सरकारी मशीनरी के खिलाफ है। आम अवाम इस संघर्ष में उनके साथ है। यह बात आखीर सत्ताधीशों के समझ में क्यों नहीं आती ? सत्ताधीश, माओवादियों, नक्सवादियों के खिलाफ विशेष अर्धसैनिक बलों के गठन की तो बात करते हैं, लेकिन इनके द्वारा चलाये जा रहे संघर्ष की पृष्ठभूमि में जाकर आम नागरिकों की समस्याओं का निराकरण क्यों नहीं करना चाहते हैं ? समझ के परे है।
आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ, उडीसा, बिहार, झारखण्ड एवं मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में फैले नक्सलवादी आन्दोलन के पीछे साफ तौर पर स्थानीय जन समस्याऐं हैं और इन प्रान्तों के असरदार पूंजीपति, सामन्ती वर्ग द्वारा गरीबों, आदिवासियों का शोषण है और सरकारी अमला इस सम्पन्न पूंजीपति सामन्ती वर्ग को हर तरह की मदद कर संघर्षरत गरीब, शोषित, पीडित वर्ग को प्रशासनिक मशीनरी का दुरूपयोग कर कुचल रहा है। नतीजन संघर्ष चालू आहे ! इस संघर्ष की चिन्गारियां अब राजस्थान और गुजरात में भी उठने लगी हैं। समय रहते राज्य सरकारें और केन्द्र सरकार गरीब, शोषित पीडित आदिवासियों, खेतीहर मजदूरों, महिलाओं, युवकों की पीडा का निराकरण नहीं करेगी, उनकी अनदेखी करेगी तो संघर्ष की ज्वाला पूरे देश में धधकने लगेगी। भला इसही में है कि हमारे सत्ताधीश समय रहते चेत जायें।
सम्पादकीय, ऑब्जेक्ट साप्ताहिक जयपुर, सोमवार 20 अप्रेल, 2009
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