सर्वाधिकार सुरक्षित रहते हुऐ, INDIAN POST INFO. NETWORK एवं ब्लाग के लिंक सहित ही सामग्री का अन्यत्र इस्तेमाल किया जा सकता है।
संसदीय मर्यादाओं का उलंघन देश का अपमान !

लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा दिये गये विदाई भोज में विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवानी की अनुपस्थिति संसदीय मर्यादाओं और देश के लोकतंत्र का अपमान है। अगर लालकृष्ण आडवानी ने घोषित रूप से लोकसभा अध्यक्ष को दिये गये विदाई भोज का बहिष्कार किया है तो यह अत्यन्त गम्भीर स्थिति है और देश में लोकतंत्र के भविष्य पर गम्भीर खतरे का संकेत भी। क्योंकि इस तरह के विदाई भोज में विपक्ष के नेता की उपस्थिति अनिवार्य होती है।
हालांकि 15 वीं लोकसभा चुनावों में राजनेताओं द्वारा एक दूसरे पर व्यक्तिगत आक्षेपों की बौछारों के कारण ही यह स्थिति पैदा हुई है। इस तरह के आक्षेपों की शुरूआत भाजपा खेमे से हुई और कांग्रेस के पलटबार से राजनैतिक घटनाक्रम को तनावपूर्ण बना दिया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह का कहना है कि विपक्षी नेताओं का काम है कि प्रधानमंत्री एवं उनकी सरकार की आलोचना करें लेकिन प्रधानमंत्री जवाब न दें। राजनाथ सिंह का यह सोच अत्यन्त हास्यास्पद है। प्रधानमंत्री पर कोई व्यक्तिगत छींटाकशी की जाये और प्रधानमंत्री को नसीहत दी जाये कि वे जवाब न दें ! यह तो मात्र शेखचिल्लियों की चकल्लस के अलावा बाकी कुछ भी नहीं !
चुनावों में राजनैतिक दल अपने कार्यों और भावी नीतियों-योजनाओं के बूते पर जनता से अपने पक्ष में वोट देने के लिये कहते हैं। जनतान्त्रिक-लोकतान्त्रिक देश में किसी भी राजनेता को अपने विरोधी के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणी सामान्य शिष्टाचार और मर्यादाओं का उलंघन है। लेकिन सत्ता में आने के लिये राजनेता खुले आम मर्यादाओं का उलंघन कर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोपों की बौछारें कर रहे हैं। देश की प्रगति, विकास, जनता की आकांक्षाओं, आमजन की दु:ख तकलीफों के मुद्दों पर कोई माई का लाल जबान नहीं खोल रहा है कि सत्ता में आने के बाद देश में खुशहाली लाने के लिये उसके पास क्या योजना है ?
चुनावों में पहिले चरण के मतदान का दौर समाप्त हो चुका है और चुनावों की प्रक्रिया के आखीरी चरण में 16 मई 2009 को मतगणना के साथ ही लोकसभा के गठन की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी। ऐसी स्थिति में पक्ष-विपक्ष के सभी राजनेताओं से देश की जनता की यही अपेक्षा रहेगी कि वे संसदीय मर्यादाओं के साथ-साथ सामाजिक नैतिक मर्यादा में रह कर अपने दायित्वों का निर्वहन करें और अपने एवं अपनी पार्टी के पक्ष में वोट अपने कार्यों एवं पार्टी के देश के प्रति दायित्वपूर्ण कर्तव्यों के बूते पर मांगें।
सम्पादकीय, ऑब्जेक्ट साप्ताहिक जयपुर, सोमवार 20 अप्रेल, 2009
Bookmark and Share