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30 सितम्बर, 2008

आदिवासी क्षेत्र में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति मजबूत करे राज्य सरकार !

आगामी विधान सभा चुनावों में वोटों की थोक में फसल काटने के चक्कर में आदिवासी इलाकों में क्या सोची समझी रणनीति के तहत तनाव की स्थितियां पैदा की जा रही हैं ? क्यों कि पहिले बांसवाडा में जैन आचार्य के पदमार्ग पर अशुद्ध पदार्थ फैंकने और समय रहते प्रशासनिक कार्यवाही नहीं होने से क्षेत्र में तनाव फैला ! यही स्थिति डूंगरपुर में है। धार्मिक स्थल क्षेत्र में गन्दगी फैंकने से जनता नाराज है। प्रशासनिक अक्षमता के चलते प्रतापगढ व राजसमन्द में भी तनाव व्याप्त है।
राजस्थान में अगले दो महिने चुनावी धूमधडाके के हैं। राज्य सरकार के कनिष्ठ से कनिष्ठ अफसरों से लेकर प्रमुख गृह सचिव, मुख्यसचिव, गृह मंत्री सहित मुख्यमंत्री की जानकारी में यह वस्तुस्थिति स्पष्ट है। लेकिन अभी तक सरकार ने उन क्षेत्रों को चिन्हित ही नहीं किया है जहां किन्ही भी कारणों से साम्प्रदायिक तनाव पैदा होने की गुंजाइश है। ऐसे क्षेत्रों में न तो खूफिया तंत्र को सतर्क किया गया है और न ही अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। बांसवाडा, डूंगरपूर, प्रतापगढ, राजसमन्द जिले और उनके आसपास के जिले आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और मामूली सी बात पर तनाव हो सकता है, यह पुलिस व प्रशासनिक स्तर के अधिकारी अच्छी तरह जानते हैं। फिर राज्य सरकार के समझ में यह बात क्यों नहीं आ रही ? क्यों क्षेत्र में कानून और व्यवस्था की स्थिति को मजबूत नहीं किया जा रहा ? क्या क्षेत्र में साम्प्रदायिक तनाव के जरिये हिन्दू वोटों को कन्सोलीडेट करने की कोई घृणित नौटंकी तो नहीं चल रही है ! वक्त है इन जिलों में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति सुदृढ करने की। ताकि अनावश्यक जनता को परेशानी में न पडना पडे।
इण्डियन पोस्ट इन्फो नेटवर्क
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