लोकतन्त्र से भाजपाई सरकार का मजाक !
भाजपा और भाजपानीत राज्य सरकारें चुनावी फायदा उठाने के लिये नित नये हथकण्डे अपना रहे हैं। चुनावों की वैतरणी पार करने के लिये वे आम अवाम और लोकतन्त्र का मजाक उडाने से भी नहीं चूक रहे हैं। राजस्थान सरकार की भाजपानीत श्रीमती वसुन्धरा राजे सरकार के मंत्रिमण्डल ने गत 11 सितम्बर, 2008 को राजस्थान में विधान परिषद् के गठन का फैंसला लिया है। केबीनेट के इस निर्णय को विधान सभा में दो तिहाई बहुमत के पास करवा कर केन्द्र सरकार को भेजने के बाद ही इस मामले में संविधान के अनुच्छेद 169(1) के तहत संसद कार्यवाही कर सकेगी।
राज्य में विधान सभा चुनावों के मद्देनजर कभी भी चुनावों की घोषणा और आचार संहिता लागू हो सकती है। ऐसी स्थिति मे विधान सभा सत्र् बुला कर मंत्रिमंडल के इस निर्णय पर आगे कार्यवाही असम्भव प्रतीत होती है। राज्य में विधान परिषद् के गठन की मांग पिछले 20 सालों से उठाई जा रही है। लेकिन इसके गठन हेतु फारवर्ड ब्लाक की मांग के खिलाफ भाजपा ने ही अडंगे लगाये थे और अपने पूरे शासनकाल और विपक्ष में बैठने के दौरान कभी भी विधान परिषद् के गठन हेतु कार्यवाही करने की जहमत भी नहीं उठाई। अब जबकि चुनाव नजदीक है, इस तरह की लोकलुभावन घोषणा जो पूरी नहीं हो सकती है, कर जनता और लोकतन्त्र का क्यों मजाक उडाया जा रहा है ? समझ के परे है !
हीराचंद जैन hcjain41@yahoo.com