02/9/2008
मायावती की प्रधानमंत्री पद हेतु दावेदारी से तीसरे विकल्प के गठन को झटका !
कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी से समान दूरी रख कर वाम-जनवादी दलों, बसपा और यूएनपीए के घटक दलों द्वारा बनाये जा रहे तीसरे राजनैतिक विकल्प की तस्वीर साफ होने से पहिले मायावती द्वारा खुद को प्रधानमंत्री प्रोजेक्ट करने से चुनाव पूर्व गठबन्धन की योजना अटक गई है। यही वजह है कि वाम-जनवादी दलों, बसपा और यूएनपीए घटक दलों की साझा रैली की तारीख भी तैय नहीं हो पारही है।
ग्यारह दलों के इस नये मोर्चे में कुल 90 सांसद हैं और अकेले वाम-जनवादी मोर्चे के 59 सांसद हैं, जबकि बसपा के मात्र 17 सांसद हैं। ऐसी स्थिति में मायावती द्वारा अपने आपको प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से इस तीसरे विकल्प के सभी साझा दलों में स्पष्ट रूप से नाराजगी है। वाम-जनवादी दल साझा नेतृत्व के तौर तरीकों में विश्वास करते हैं। फारवर्ड ब्लाक ने स्पष्ट रूप से भविष्य की मायावती की राजनैतिक सोच तथा बसपा के तौर तरीकों को लेकर स्थिति स्पष्ट करने हेतु बसपा सुप्रिमों से मांग की है। क्योंकि मायावती के ऐलान से तीसरे विकल्प को खडा करने की कोशिशों को झटका लगा है।
फारवर्ड ब्लाक का स्पष्ट मानना है कि वाम-जनवादी मोर्चे को अब राष्ट्रीय राजनैतिक परिपेक्ष्य में केन्द्र में मुख्य नेतृत्वकारी की भूमिका निभाते हुये वाम-जनवादी मोर्चा नीत सरकार बनाने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिये पूरे विश्वास और ताकत के साथ जुट जाना चाहिये। कांग्रेस व भाजपा के बाद वाम-जनवादी मोर्चे के पास ही सब से ज्यादा सांसद हैं और ऐसी स्थिति में मोर्चा अन्य वाम विचारधारा के दलों को साथ लेकर सरकार बनाये। इससे वाम-जनवादी आन्दोलन की ताकत कई गुना बढ जायेगी और आम अवाम का विश्वास भी बढेगा जिससे व्यापक वाम-जनवादी आन्दोलन विकसित होगा। हमें इस मामले में नेपाल से सबक लेना चाहिये।