सर्वाधिकार सुरक्षित रहते हुऐ, INDIAN POST INFO. NETWORK एवं ब्लाग के लिंक सहित ही सामग्री का अन्यत्र इस्तेमाल किया जा सकता है।
बदहवास लिट्टे कुछ भी कर सकता है ?

श्रीलंका सेना की ५४ वीं डिविजन के साथ-साथ ५८ व ५९ वीं डिवीजनों ने लिट्टे टाइगरों को उनके गढ में ही ५ किलामीटर दायरे में घेर लिया है। उधर श्रीलंका की नौसेना ने भी लिट्टे के कब्जे वाले क्षेत्र के समुद्री ईलाके की कडी नाकेबन्दी कर लिट्टे पर शिकंजा कस लिया है। श्रीलंका सेना के कमाण्डरों ने असैन्य क्षेत्र को टुकडों में बांट कर तमिल सिविलियनों को नोवार जोन एवं उसके पास के अपने कब्जे वाले क्षेत्रों में दाखिल करा दिया है। अब बताया जाता है कि लिट्टे के कब्जे वाले क्षेत्र में लगभग ८० हजार सिविलियन्स ही बचे हैं। जिन पर लिट्टे का दबाव है कि वे वारजोन न छोडें ताकि लिट्टे उन को ढाल बना कर श्रीलंका सेना से मुकाबला कर सके। ये वो तमिल सिविलियन्स हैं जिनके परिवार के सदस्य लिट्टे लडाके हैं। ऐसी स्थिति में लिट्टे की तरफ से श्रीलंका सेना से संघर्ष कर रहे अपने परिवार के सदस्यों को छोड कर ये परिजन मानसिक तौर पर वारजोन छोड कर बाहर जाने को तैयार नहीं हैं। क्योंकि जैसे ही वे वारजोन छोडेगें, लिट्टे लडाके श्रीलंका सेना की गिरफ्त में आजायेंगे और उनके सामने आत्मसमर्पण करने या मौत को गले लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा ! ये परिवार लिट्टे की ओर से लड रहे अपने परिजनों के साथ मरना पसंद करेगें, लेकिन वारजोन से नहीं हटेंगे।
श्रीलंका सेना आरोप लगा रही है कि लिट्टे ने तमिल सिविलियन्स को रोक रखा है, जो हकीकत के विपरीत है। यह श्रीलंका सरकार के अलावा भारत, अमरीका व इजराइल के सैन्य रणनीतिकार भी अच्छी तरह जानते हैं कि तमिल सिविलियन्स लिट्टे की ओर से श्रीलंका सेना से लड रहे अपने परिजनों को छोड कर किसी भी सूरत में वारजोन से सेना के अधिकार क्षेत्र में नहीं आयेंगे और जबतक ऐसा नहीं होगा, श्रीलंका सेना निर्णायक आक्रमण नहीं कर पायेगी।
ऐसे गम्भीर क्षणों में अगर लिट्टे लडाके अपने सिविलियन्स परिजनों को क्रास फायरिंग के बीच मरते या घायल होते देखेगें तो वे मानसिक सन्तुलन बनाये रखने में सक्षम नहीं होंगे और कोई गम्भीर कदम उठा सकते हैं जिसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता है।
भारत सहित अन्तर्राष्ट्रीय बिरादरी को तत्काल इस गम्भीर समस्या को सुलझाने के लिये सक्षम हस्तक्षेप करना चाहिये। यही वक्त का तकाजा है।

सम्पादकीय, ऑब्जेक्ट साप्ताहिक जयपुर, सोमवार 27अप्रेल, 2009

Bookmark and Share