11/9/2008
बिजली उत्पादन टांय-टांय फिस्स !
आखिरकार राजस्थान सरकार ने मान ही लिया है कि बिजली उत्पादन के सरकारी दावे खोखले हैं। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने साफ-साफ माना है कि 1070 मेघावाट की निर्माणाधीन राज्य की पांच इकाइयों में दिसम्बर, 2008 से पहिले बिजली का उत्पादन होना सम्भव ही नहीं है। हालांकि अपने बचाव के लिये मुख्यमंत्री ने देरी के लिये दोष भारत हैवी इलेक्ट्रीकल्स लिमिटेड के मत्थे मंढ दिया है कि भेल ने समय पर मशीने एवं उपकरण सप्लाई नहीं किये। जब मुख्यमंत्री और उनके सरकारी अमले को यह मालूम था कि भेल से मशीने-उपकरण समय पर परियोजना स्थल पर नहीं पहुंचे हैं और बिजली उत्पादन दिसम्बर, 2008 से पहिले शुरू नहीं हो सकता है, तो फिर ऊर्जा विभाग के बडे-बडे विज्ञापन प्रिन्ट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में साया करवाने का क्या तुक था ? क्यों जनता के गाढे पसीने की कमई को लुटाया गया ? इसका जवाब तो आनेवाले वक्त में सरकार को देना ही होगा जनता को !
हीराचंद जैन hcjain41@yahoo.com